अलंकार
हिन्दी :-काव्य के तत्व अलंकार जो साहित्य को अलंकृत करते हैं। अलंकार संगीत के लिए जिनका अभ्यास किया जाता है अलंकार जो प्रमुख व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए दिए जाते हैं। अलंकार जो शरीर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए धारण किए जाते हैं। काव्य में सौंदर्य उत्पन्न करने वाले शब्द को अलंकार कहते है।
अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - आभूषण। काव्य रूपी काया की शोभा बढ़ाने वाले अवयव को अलंकार कहते हैं। दूसरे शब्दों में जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ते हैं, उसी प्रकार अलंकार साहित्य या काव्य को सुंदर व रोचक बनाते हैं। 1.शब्दालंकार:
शब्दों के कारण जब काव्य में सौंदर्य उत्पन्न होता हैं, वहाँ शब्दालंकार होता हैं । 2. अर्थालंकार:
जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में सुन्दरता का होना पाया जाये, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके मुख्य भेद निम्नलिखित हैं I
संस्कृत के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में ‘काव्य’ शोभाकरान धर्मान अलंकारान प्रचक्षते’ – काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं। हिन्दी के कवि केशवदास एक अलंकारवादी हैं।
अलंकार की परिभाषा:
अलंकार के मुख्यत : दो भेद होते हैं-
1. शब्दालंकार
2. अर्थालंकार
मुख्य शब्दालंकार निम्न है-
1. अनुप्रास
2. श्लेष
3. यमक
1. अनुप्रास अलंकार -
जहाँ एक ही वर्ण बार - बार दोहराया जाए, अर्थात वर्णों की आवृति हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण:
" चारु- चन्द्र की चंचल किरणें,
खेल रही थी जल- थल में"।
या
तट तमाल तरूवर बहू छाए
( ‘त ‘ वर्ण की आवृत्ति बार – बार हो रही है )
(2) श्लेष अलंकार:-
जहाँ काव्य में प्रयुक्त किसी एक शब्द के कई अर्थ हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण:
"रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून ।
पानी गये ऊबरे, मोती, मानस, चून ।।"
( पानी के अर्थ है – चमक , इज्जत , जल )
या
सीधी चलते राह् जो रहते सदा निशंक,
जो विप्लव करते उन्हें “हरि” का है आतंक
*यहाँ हरि का अर्थ भगवान से एवं बन्दर से है
” रो-रोकर सिसक – सिसक कर कहता मैं करुण कहानी।
तुम सुमन नोचते , सुनते , करते , जानी अनजानी। ।"
यहां ‘ सुमन ‘ शब्द का एक अर्थ है ‘ फूल ‘ और दूसरा अर्थ है ‘ सुंदर मन ‘ | ‘ सुमन ‘ का खंडन सु + मन करने पर ‘ सुंदर + मन ‘ अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।
मेरी भव बाधा हरो ,राधा नागरी सोय , जा तन की झाई परे , श्याम हरित दुति होय। ( हरित – हर लेना , हर्षित होना , हरा रंग का होना। )
(3) यमक अलंकार:-
जहाँ शब्दों या वाक्यांशों की आवृति एक से अधिक बार होती है, लेकिन उनके अर्थ सर्वथा भिन्न होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण:
"कनक-कनक से सो गुनी, मादकता अधिकाय,
वा खाय बौराय जग, या पाय बोराय।।'
यहाँ कनक का अर्थ है सोना(गोल्ड) एवं धतूरा(जहरीला पदार्थ) से है
काली घटा का घमंड घटा ।
(घटा – बादलों का जमघट , घटा – कम हुआ)
(1) उपमा
(2) रूपक,
(3) उत्प्रेक्षा,
(4) अतिश्योक्ति
(5) मानवीकरण
(1) उपमा अलंकार: -
उपमा शब्द का अर्थ है-तुलना। जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की अन्य व्यक्ति या वस्तु से चमत्कारपूर्ण समानता की जाय, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
"पीपर- पात सरिस मन डोला।"
(यहाँ मन की तुलना पीपल के पत्ते से की गई है)
या
''हरि पद कोमल कमल से'
या
"बढ़ते नद सा वह लहर गया "
यहाँ राणा प्रताप का घोडा चेतक(वह) उपमेय है, बढ़ता हुआ नद ( उपमान) सा
अन्य उदाहरण
• कोटि कुलिस सम वचनु तुम्हारा।
• सहसबाहु सम सो रिपु मोरा
• चांदी की सी उजली जाली।
• रोमांचित सी लगती वसुधा।
(2) रूपक अलंकार:-
जहाँ उपमान और उपमेय के भेद को समाप्त कर उन्हें एक कर दिया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है।(अर्थात तुलना समाप्त करके वास्तु/व्यक्ति को वही रूप प्रदान कर दिया जाता है)
उदहारण:
• मईया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों
• चरण – कमल बन्दों हरि राई।
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार:-
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाय , वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।। इसमें 'मनु', 'मानो','जनु', 'जानो' आदि शब्दों का प्रयोग होता है।
उदाहरण:-
• "सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनहु नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभात।।"
• कहती हुई यो उतरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणो से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।
(4) अतिशयोक्ति अलंकार:-
जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णनं बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण:-
• पानी परात को हाथ छुओं नहीं नैनं के जल से पग धोयेI
• हनुमान के पूँछ में लगन न पायी आग
लंका सिगरी जल गई , गए निशाचर भाग।
5 मानवीकरण अलंकार:-
जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।अर्थात् प्राकृतिक चीजों को मनुष्य के समान प्रस्तुत किया जाता है
उदाहरण:
• मेघ आये बन ठन के संवर के
• दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या सुन्दरी , परी सी।
SAROJ
रविवार, 19 सितंबर 2021
अलंकार
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