अर्थ के आधार पर वाक्य भेद (8)
वाक्य
परिभाषा - सार्थक शब्दों का वह व्यवस्थित समूह जिनके माध्यम से मन के भाव-विचार प्रकट किए जाते हैं,उन्हें वाक्य कहते हैं।
वाक्य के तीन मुख्य भेद/ प्रकार हैं ।
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद (8)
प्रयोग / संरचना के आधार (रचना के आधार) पर वाक्य भेद (3)
क्रिया के आधार पर वाक्य (वाच्य)
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद
1- विधान वाचक वाक्य,
2- निषेधवाचक वाक्य,
3- प्रश्नवाचक वाक्य,
4- विस्मयादिबोधक वाक्य,
5- आज्ञावाचक वाक्य,
6- इच्छावाचक वाक्य,
7- संकेतवाचक वाक्य,
8- संदेहवाचक वाक्य।
1.विधानवाचक या कथनात्मक वाक्य --
जिस वाक्य में क्रिया होने या करने की सूचना मिलती हो अथवा सामान्य कथन हो या किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति/अवस्था/अस्तित्व का बोध कराने वाले वाक्य ' कथनात्मक वाक्य ' या ' विधानवाचक वाक्य ' कहे जाते है ।
विधानवाचक वाक्य को सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों में कही गई बात को ज्यों का त्यों मान लिया जाता है।
उदाहरण –
टोकियो ओलंपिक में भारत ने स्वर्ण पदक जीता ।
श्रीराम के पिता का नाम दशरथ था।
मुझे कल बुखार है।
बुद्ध शांति के प्रतीक है ।
2. निषेधात्मक वाक्य या नकारात्मक वाक्य --
जिन वाक्यों में कार्य का निषेध (न होने) का बोध होता है ,उसे निषेधवाचक वाक्य कहा जाता है। निषेधवाचक वाक्य को निषेधात्मक वाक्य कहा जाता है । कभी-कभी हिन्दी के सकारात्मक वाक्यों में ' नहीं ' , ' न ' , ' मत ' लगाकर नकारात्मक वाक्य बनाए जाते है ।
जैसे :-
(क) मैं यह काम नहीं कर सकता ।
(ख) आज हिन्दी के अध्यापक ने कक्षा नहीं ली ।
(ग ) तुम धूमने मत जाओ ।
(घ ) मास्क के बिना घर से बाहर न जाओ।
इसके अलावा हिंदी में नकारात्मकता का बोध कराने वाले कुछ वाक्य इस तरह से भी होते हैं ।
जैसे
(क) किशन तो अब यह काम करने से रहा।
- किशन तो अब यह काम नहीं करेगा ।
(ख) अब वह मुझे क्यों पूछेगा।
- अब वह मुझे नहीं पूछेगा ।
(ग ) अब वह कहां मिलेगी ।
- अब वह नहीं मिलेगी ।
(घ) वह तुम्हारा काम क्या करेगा ।
- वह तुम्हारा काम नहीं करेगा ।
(ड) मै थोड़े ही डरता हूं उनसे ।
- मै नहीं डरता हूं उनसे ।
3.आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य --
जिन वाक्यों में आज्ञा , आदेश/निर्देश , प्रार्थना / विनय / अनुमति देने का भाव प्रकट होता है , वे आज्ञार्थक वाक्य कहे जाते है
जैसे :-
(क) आज चुप रहिए ।
(ख) आप मास्क लगाकर बाहर जा सकतें हैं ।
(ग ) यहाँ से चले जाइए ।
(घ ) कृपया करके आप बाहर बैठिए ।
(ड) बाजार से फल लेकर आओ
4. प्रश्नवाचक वाक्य --
जिन वाक्यों द्वारा कोई न कोई प्रश्न पूछने का भाव प्रकट होता है और जिनमें कुछ उत्तर पाने की जिज्ञासा रहती है वे वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं ,
उदाहरण के लिए-
क्या वह लाल किला देखने जाएगी ?
जिस तरह कभी – किभी सकारात्मक वाक्यों के निषेधात्मक वाक्य बन जाते है , वैसे ही उनके प्रश्नवाचक रूप भी बन सकते है। प्रश्नवाचक रूप तो सकरात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के वाक्यों से बनाए जा सकते है।
उदाहरण के लिए-
वह लाल किला देखने जाएगी ?
तुम खेलोगे ?
(I). ऐसे प्रश्नवाचक जिनका उत्तर केवल हां/ना में प्राप्त है। इनमे ' क्या ' (प्रश्नवाचक शब्द ) वाक्य के आरम्भ में आता है ;
जैसे :
(क) क्या वह लाल किला देखने जाएगी ?
(ख) क्या तुम खेलोगे ?
(II). कभी – कभी प्रश्नवाचक वाक्यों में प्रश्नवाचक शब्द वाक्य के बीच में आता है ;
जैसे : (क) वह लाल किला देखने कब जा रहे है ?
(ख) तुम कहां खेलोगे ?
(II) सभी प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) अनिवार्य रूप से लगाया जाता है ।
प्रश्नवाचक वाक्यों की पहचान –
क्या, कब, क्यों, कैसे, कौन, किसे, किसका आदि प्रश्नवाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है ।
5.विस्मयवाचक वाक्य-
विस्मय का अर्थ है - आश्चर्य! जिन वाक्यों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, प्रसन्नता, शोक, दुख, भय आदि भाव प्रकट हों उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं। इन वाक्यों का दूसरा नाम उद्गारवाचक वाक्य भी है।
उदाहरण –
अरे ! इतनी लम्बी रेलगाड़ी !
वाह ! क्या शानदार चौका मारा है ।
ओह ! कितना सुन्दर बगीचा है ।
छिः ! ऐसा घृणित अपराध तुमने किया है !
विस्मयवाचक वाक्यों की पहचान –
वाक्य में अहो!, अहा!, हाय!, छि:!, अरे! आदि का प्रयोग ।
ऐसे शब्दों या वाक्य के अंत में विस्मयवाचक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है ।
6. संदेहवाचक वाक्य --
इन वाक्यों में वक्ता प्रायः संदेह की भावना प्रकट करता है ,अथवा वाक्यों में कार्य के होने में संदेह अथवा संभावना का बोध हो वे संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं
जैसे -
शायद भ्रष्टाचार कुछ कम हो जाए ।
संभवतः इस साल सरकार कुछ वेतन बढ़ा दे ।
हो सकता है कि इस साल अच्छी कमाई हो ।
इन वाक्यों को संभावनार्थक भी कहते हैं , क्योंकि कार्य होने के प्रति वक्ता संभावना भी व्यक्त करता है ।
7. संकेतवाचक वाक्य --
जिन वाक्यों से एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो ,तो इन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं । इन वाक्यों को हेतुवाचक वाक्य भी कहते हैं । इन वाक्यों में किसी - न - किसी कारण / शर्त की पूर्ति का विधान होता है इसीलिए इनको ' शर्तवाची वाक्य ' भी कहते है ;
जैसे :
(क) यदि मरीज को समय पर दवा मिल जाती, तो वह स्वस्थ हो जाता ।
(ख) यदि यहाँ का तापमान बढ़ेगा, तो इस वर्ष बरसात अवश्य होगी ।
(ग ) उसने झूठी गवाही न दी होती, तो उसे फाँसी न होती।।
(घ ) वर्षा होती तो अनाज पैदा होता ।
8. इच्छावाचक वाक्य --
इन वाक्यों में बोलने वाला वक्ता- अपने या किसी अन्य के लिए इच्छा,आशा , आशिर्वाद का भाव प्रकट करता है।
जैसे -
आज अच्छी कमाई हो जाती ।
ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे ।
आप दीर्घायु हों ।
कुछ और उदाहरण देखिए :
1. मेरी चिट्ठी आई है ।
- क्या मेरी चिट्ठी आई है ? ( प्रश्नवाचक)
2. बच्चे लाइन में जाएंगे ।
- क्या बच्चे लाइन में जाएंगे ? ( प्रश्नवाचक)
3. लड़के घर में आराम कर रहे है ।
- लडको , घर में आराम करो । ( आज्ञावाचक)
4. कृपया पत्र लिख दीजिए ।
- पत्र लिखो । ( आज्ञावाचक)
5. रोगी उठ - बैठ सकता है।
- रोगी उठ - बैठ नहीं सकता । ( निषेधवाचक )
6. वाह ! क्या सुंदर दृश्य है ।
- दृश्य बहुत सुंदर है । ( विधानवाचक )
7. राम घर पर है ।
- राम घर पर होगा । ( संदेहवाचक)
8. अभी बाजार से फल लाओ ।
- ( मै चाहता हुं कि) तुम अभी बाजार से फल लाओ । (इच्छावाचक)
9. सीता गा रही है ।
- वाह ! सीता गा रही है । (विस्मयादिवाचक )
10. यह तुमने क्या किया ।
- उफ़ ! यह तुमने क्या किया । (विस्मयादिवाचक )
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