मंगलवार, 31 अगस्त 2021

वाच्य

वाच्य


  • कुसुम पुस्तक पढ़ती है।
  • कुसुम से पुस्तक पढ़ी जाती है।
  • कुसुम से पढ़ा नहीं जाता है।

    इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता , कर्म या भाव में से किसके अनुसार है।

    वाच्य से यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता , कर्म और भाव में से किसकी प्रधानता है।

    वाच्य: वाच्य किसी भी वाक्य के उस रूप को कहते हैं, जिससे यह पता चलता है कि क्रिया को मूल रूप से चलाने वाला कर्ता है, कर्म है अथवा भाव।


    वाच्य का शाब्दिक अर्थ है- 'बोलने योग्य या बोलने का विषय' हो ।
    इसे किसी बात को कहने का ढ़ग भी माना जा सकता है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी किसी बात के बिंदु को प्रमुखता से स्पष्ट करता है । बातें इस बात को प्रकट करता है कि कोई किस कथ्य बिंदु को अधिक महत्व दे रहा है ।

    हिन्दी में तीन प्रकार के वाच्य होते हैं:-

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य

  • (क) कर्तृवाच्य


    जिन वाक्यों में कर्त्ता की प्रधानता होती हैं, उन्हें कर्तृवाच्य कहते हैं। इन वाक्यों में अकर्मक तथा सकर्मक दोनों क्रियाएँ हो सकती है। इनमें कर्ता प्रमुख होता है और कर्म गौण होता है।

    पहचान:-


    कर्ता प्रमुख, क्रिया के अनुरूप, कर्ता– प्रथम विभक्ति में ।


    उदाहरण -


    1. रानी खाना बना रही है । (सकर्मक)
    2. गीता नाच रही है । (अकर्मक)

    (ख) कर्मवाच्य-


    जिन वाक्यों में कर्त्ता गौण अथवा कर्म प्रधान होता है, उन्हें कर्मवाच्य कहते हैं। कर्मवाच्य में कर्म की प्रधानता होती है। इस कारण वाक्य में कर्त्ता का लोप हो जाता है या कर्त्ता के साथ द्वारा’, ‘के द्वारा’ या ‘से’ का प्रयोग होता है ।

    पहचान -


    1- कर्म प्रमुख, क्रिया- कर्म के अनुरूप, कर्त्ता का लोप हो जाता है या कर्त्ता के साथ ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’ या ‘से’ का प्रयोग होता है । 2- कर्म प्रमुख, क्रिया कर्म के अनुरूप, कर्त्ता तृतीय विभक्ति में (से/द्वारा/के द्वारा का प्रयोग) |


    उदाहरण :-


    1. छात्रों के द्वारा चित्र बनाए गए । (कर्ता = के द्वारा)
    2. परीक्षा में प्रश्न -पत्र बांटे गए । (कर्ता = का लोप)
    3. मुझसे यह दरवाजा नहीं खोला जाता । (कर्ता = से)

    असमर्थता बताने के लिए नहीं के साथ कर्मवाच्य का प्रयोग । विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्मवाच्य में कर्ता का लोप होता है या कर्ता के साथ ‘द्वारा’‘के द्वारा’ या ‘से’ जोड़ा जाता है। इस कारण कर्ता गौण हो जाता है तथा उसमें सकर्मक क्रियाएं प्रयुक्त होती है।

    ग) भाववाच्य-


    रचना के अंतर्गत असमर्थता/विवशता सूचक वाक्य भी आते हैं, किन्तु इनमें ‘द्वारा’ के स्थान पर प्रायः ‘से’ परसर्ग का प्रयोग होता है। इसमें अकर्मक क्रिया प्रयुक्त होती है। ऐसे वाक्य केवल निषेधात्मक रूप में प्रयोग होते हैं और कर्ता की असमर्थता सूचित करते हैं ।

    पहचान -


    भाव प्रमुख, क्रिया-एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरूष तथा सामान्य भूतकाल में ।


    उदाहरण -

    1. अब मुझसे नहीं चला जाएगा ।
    2. गर्मियों में खूब नहाया जाता है ।
    3. तुमसे खाना नहीं खाया जा रहा है ।

    विशेष:-हिन्दी में क्रिया का एक ऐसा रूप भी है, जो कर्मवाच्य की तरह प्रयोग होता है । यह सकर्मक क्रिया से बनता है, जिन्हें व्युत्पन्न अकर्मक कहते हैं


    जैसे:-


    क) मेज टूट गई।(तोड़ना सकर्मक क्रिया से -‘टूटना व्युत्पन्न अकर्मक क्रिया)
    ख) दरवाजा खुल गया।(खोलना सकर्मक क्रिया से -‘खुलना व्युत्पन्न अकर्मक क्रिया)
    ग) भोजन पक गया।(पकाना सकर्मक क्रिया से -‘पकना’ व्युत्पन्न अकर्मक क्रिया)


    भाववाच्य में वक्ता का कथन-बिंदु से प्रकट होता है ।


    वाच्य-परिवर्तन

    कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना –


    कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए -
    1. कर्तृवाच्य के मुख्य क्रिया का सामान्य भूतकाल में परिवर्तन ।
    2. कर्ता के साथ ‘द्वारा’ ‘के द्वारा’ या ‘से’ लगाइए ।
    3. क्रिया के परिवर्तित रूप के साथ काल, पुरूष, वचन तथा लिंग के अनुसार क्रिया का रूप जोड़िए ।
    4. यदि कर्म के साथ विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दीजिए ।

    कर्तृवाच्य

    1. छात्रों ने पत्र लिखा ।
    2. मोहन क्रिकेट नहीं खेलता है ।
    3. मैने पत्र लिखा ।
    4. कर्मवाच्य

      1. छात्रों द्वारा पत्र लिखा गया।
      2. मोहन से क्रिकेट नहीं खेला जाता है।
      3. मेरे द्वारा पत्र लिखा गया ।

      4. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना -

        ध्यान देने योग्य बातें :-
        1.कर्ता के साथ ‘से’ या ‘के’ द्वारा लगाएं ।
        2.मुख्य क्रिया (सामान्य भूतकाल की क्रिया) को एकवचन में बदल कर उसके साथ धातु के एकवचन,पुल्लिंग,अन्य-पुरूष का वही काल लगा दें,जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है।

        जैसे

        -खेलेंगे- खेला जाएगा ।
        -सोते हैं- सोया जाता है ।

        कर्तृवाच्य

        1. सीता सो गई ।
        2. घायल बिस्तर से नहीं उठता ।
        3. पक्षी उड़ेंगे ।

        भाववाच्य

        1.सीता से सोया गया ।
        2.घायल से बिस्तर से उठा नहीं जाता।
        3.पक्षियों द्वारा उड़ा जाएगा ।

        विशेष:- सामान्यत: भाववाच्य का प्रयोग निषेधात्मक अर्थ में होता है ।

  • शनिवार, 14 अगस्त 2021

    अर्थ के आधार पर वाक्य भेद

    अर्थ के आधार पर वाक्य भेद (8)


    वाक्य


    परिभाषा - सार्थक शब्दों का वह व्यवस्थित समूह जिनके माध्यम से मन के भाव-विचार प्रकट किए जाते हैं,उन्हें वाक्य कहते हैं।
    वाक्य के तीन मुख्य भेद/ प्रकार हैं ।

    अर्थ के आधार पर वाक्य भेद (8)
    प्रयोग / संरचना के आधार (रचना के आधार) पर वाक्य भेद (3)
    क्रिया के आधार पर वाक्य (वाच्य)


    अर्थ के आधार पर वाक्य भेद

    1- विधान वाचक वाक्य,
    2- निषेधवाचक वाक्य,
    3- प्रश्नवाचक वाक्य,
    4- विस्मयादिबोधक वाक्य,
    5- आज्ञावाचक वाक्य,
    6- इच्छावाचक वाक्य,
    7- संकेतवाचक वाक्य,
    8- संदेहवाचक वाक्य।

    1.विधानवाचक या कथनात्मक वाक्य --

    जिस वाक्य में क्रिया होने या करने की सूचना मिलती हो अथवा सामान्य कथन हो या किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति/अवस्था/अस्तित्व का बोध कराने वाले वाक्य ' कथनात्मक वाक्य ' या ' विधानवाचक वाक्य ' कहे जाते है ।


    विधानवाचक वाक्य को सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों में कही गई बात को ज्यों का त्यों मान लिया जाता है।

    उदाहरण –


    टोकियो ओलंपिक में भारत ने स्वर्ण पदक जीता ।
    श्रीराम के पिता का नाम दशरथ था।
    मुझे कल बुखार है।
    बुद्ध शांति के प्रतीक है ।

    2. निषेधात्मक वाक्य या नकारात्मक वाक्य --

    जिन वाक्यों में कार्य का निषेध (न होने) का बोध होता है ,उसे निषेधवाचक वाक्य कहा जाता है। निषेधवाचक वाक्य को निषेधात्मक वाक्य कहा जाता है । कभी-कभी हिन्दी के सकारात्मक वाक्यों में ' नहीं ' , ' न ' , ' मत ' लगाकर नकारात्मक वाक्य बनाए जाते है ।
    जैसे :-

    (क) मैं यह काम नहीं कर सकता ।
    (ख) आज हिन्दी के अध्यापक ने कक्षा नहीं ली ।
    (ग ) तुम धूमने मत जाओ ।
    (घ ) मास्क के बिना घर से बाहर न जाओ।

    इसके अलावा हिंदी में नकारात्मकता का बोध कराने वाले कुछ वाक्य इस तरह से भी होते हैं ।
    जैसे

    (क) किशन तो अब यह काम करने से रहा।
    - किशन तो अब यह काम नहीं करेगा ।

    (ख) अब वह मुझे क्यों पूछेगा।
    - अब वह मुझे नहीं पूछेगा ।

    (ग ) अब वह कहां मिलेगी ।
    - अब वह नहीं मिलेगी ।

    (घ) वह तुम्हारा काम क्या करेगा ।
    - वह तुम्हारा काम नहीं करेगा ।

    (ड) मै थोड़े ही डरता हूं उनसे ।
    - मै नहीं डरता हूं उनसे ।

    3.आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य --

    जिन वाक्यों में आज्ञा , आदेश/निर्देश , प्रार्थना / विनय / अनुमति देने का भाव प्रकट होता है , वे आज्ञार्थक वाक्य कहे जाते है
    जैसे :-

    (क) आज चुप रहिए ।
    (ख) आप मास्क लगाकर बाहर जा सकतें हैं ।
    (ग ) यहाँ से चले जाइए ।
    (घ ) कृपया करके आप बाहर बैठिए ।
    (ड) बाजार से फल लेकर आओ

    4. प्रश्नवाचक वाक्य --

    जिन वाक्यों द्वारा कोई न कोई प्रश्न पूछने का भाव प्रकट होता है और जिनमें कुछ उत्तर पाने की जिज्ञासा रहती है वे वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं ,
    उदाहरण के लिए-


    क्या वह लाल किला देखने जाएगी ?

    जिस तरह कभी – किभी सकारात्मक वाक्यों के निषेधात्मक वाक्य बन जाते है , वैसे ही उनके प्रश्नवाचक रूप भी बन सकते है। प्रश्नवाचक रूप तो सकरात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के वाक्यों से बनाए जा सकते है।
    उदाहरण के लिए-


    वह लाल किला देखने जाएगी ?
    तुम खेलोगे ?

    (I). ऐसे प्रश्नवाचक जिनका उत्तर केवल हां/ना में प्राप्त है। इनमे ' क्या ' (प्रश्नवाचक शब्द ) वाक्य के आरम्भ में आता है ;
    जैसे :

    (क) क्या वह लाल किला देखने जाएगी ?
    (ख) क्या तुम खेलोगे ?
    (II). कभी – कभी प्रश्नवाचक वाक्यों में प्रश्नवाचक शब्द वाक्य के बीच में आता है ;
    जैसे : (क) वह लाल किला देखने कब जा रहे है ?
    (ख) तुम कहां खेलोगे ?
    (II) सभी प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) अनिवार्य रूप से लगाया जाता है ।

    प्रश्नवाचक वाक्यों की पहचान –
    क्या, कब, क्यों, कैसे, कौन, किसे, किसका आदि प्रश्नवाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है ।

    5.विस्मयवाचक वाक्य-

    विस्मय का अर्थ है - आश्चर्य! जिन वाक्यों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, प्रसन्नता, शोक, दुख, भय आदि भाव प्रकट हों उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं। इन वाक्यों का दूसरा नाम उद्गारवाचक वाक्य भी है।
    उदाहरण –

    अरे ! इतनी लम्बी रेलगाड़ी !
    वाह ! क्या शानदार चौका मारा है ।
    ओह ! कितना सुन्दर बगीचा है ।
    छिः ! ऐसा घृणित अपराध तुमने किया है !

    विस्मयवाचक वाक्यों की पहचान
    वाक्य में अहो!, अहा!, हाय!, छि:!, अरे! आदि का प्रयोग ।
    ऐसे शब्दों या वाक्य के अंत में विस्मयवाचक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है ।

    6. संदेहवाचक वाक्य --

    इन वाक्यों में वक्ता प्रायः संदेह की भावना प्रकट करता है ,अथवा वाक्यों में कार्य के होने में संदेह अथवा संभावना का बोध हो वे संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं
    जैसे -

    शायद भ्रष्टाचार कुछ कम हो जाए ।
    संभवतः इस साल सरकार कुछ वेतन बढ़ा दे ।
    हो सकता है कि इस साल अच्छी कमाई हो ।

    इन वाक्यों को संभावनार्थक भी कहते हैं , क्योंकि कार्य होने के प्रति वक्ता संभावना भी व्यक्त करता है ।

    7. संकेतवाचक वाक्य --

    जिन वाक्यों से एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो ,तो इन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं । इन वाक्यों को हेतुवाचक वाक्य भी कहते हैं । इन वाक्यों में किसी - न - किसी कारण / शर्त की पूर्ति का विधान होता है इसीलिए इनको ' शर्तवाची वाक्य ' भी कहते है ;
    जैसे
    :
    (क) यदि मरीज को समय पर दवा मिल जाती, तो वह स्वस्थ हो जाता ।
    (ख) यदि यहाँ का तापमान बढ़ेगा, तो इस वर्ष बरसात अवश्य होगी ।
    (ग ) उसने झूठी गवाही न दी होती, तो उसे फाँसी न होती।।
    (घ ) वर्षा होती तो अनाज पैदा होता ।

    8. इच्छावाचक वाक्य --

    इन वाक्यों में बोलने वाला वक्ता- अपने या किसी अन्य के लिए इच्छा,आशा , आशिर्वाद का भाव प्रकट करता है।
    जैसे -

    आज अच्छी कमाई हो जाती ।
    ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे ।
    आप दीर्घायु हों ।


    कुछ और उदाहरण देखिए :
    1. मेरी चिट्ठी आई है ।
    - क्या मेरी चिट्ठी आई है ? ( प्रश्नवाचक)
    2. बच्चे लाइन में जाएंगे ।
    - क्या बच्चे लाइन में जाएंगे ? ( प्रश्नवाचक)
    3. लड़के घर में आराम कर रहे है ।
    - लडको , घर में आराम करो । ( आज्ञावाचक)
    4. कृपया पत्र लिख दीजिए ।
    - पत्र लिखो । ( आज्ञावाचक)
    5. रोगी उठ - बैठ सकता है।
    - रोगी उठ - बैठ नहीं सकता । ( निषेधवाचक )
    6. वाह ! क्या सुंदर दृश्य है ।
    - दृश्य बहुत सुंदर है । ( विधानवाचक )
    7. राम घर पर है ।
    - राम घर पर होगा । ( संदेहवाचक)
    8. अभी बाजार से फल लाओ ।
    - ( मै चाहता हुं कि) तुम अभी बाजार से फल लाओ । (इच्छावाचक)
    9. सीता गा रही है ।
    - वाह ! सीता गा रही है । (विस्मयादिवाचक )
    10. यह तुमने क्या किया ।
    - उफ़ ! यह तुमने क्या किया । (विस्मयादिवाचक )

    शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

    पद-परिचय

    पद-परिचय

    शब्द और पद में अंतर


    शब्द- शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई है। वर्णों के मेल से बने सार्थक समूह को शब्द कहते हैं । जैसे मोहन, इलाहाबाद, ईमानदारी।

    पद- शब्द व्याकरण के नियमों में बंध कर वाक्य में प्रयोग किया जाता है तब शब्द पद बन जाते हैं।

    जैसे : रमेश पढ़ता है ।
    इस वाक्य में रमेश और पढ़ता है, दो पद है ।

    परिभाषा :- पद परिचय वाक्य में प्रयुक्त पदों का विस्तृत व्याकरणिक परिचय देना ही पद परिचय कहलाता है।


    वाक्य के पदों का परिचय उनके स्वरूप एवं दूसरे पदों के साथ उनके संबंध को बताना है।

    जैसे- महेश मास्क लगाता है।

    महेश पद का व्याकरणिक परिचय होगा - व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, कर्ता कारक और लगाता है क्रिया का कर्ता है।

    विशेष – साधारणत; पद परिचय में सबसे पहले पद को पहचान लेना चाहिए कि वह शब्दों के किस भेद से संबंध रखता है इसके बाद निर्देशों के अनुसार उसकी व्याकरणिक अस्तित्व को उजागर करना चाहिए अर्थात उसकी व्याकरणिक भूमिकाओं का उल्लेख करना चाहिए।
    तात्पर्य है कि उस पद की क्या स्थिति है, उसका क्या लिंग है, उसका वचन क्या है, उसमें कौन से कारक का प्रयोग किया गया है तथा अन्य पदों के साथ उसका क्या संबंध है । आदि का परिचय देना ही पद परिचय है ।

    पद-परिचय के आवश्यक पहलू:-


    पद – परिचय देते समय निम्न बातों की जानकारी होनी आवश्यक है :-

    संज्ञा – संज्ञा के तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया के साथ संबंध |

    सर्वनाम- सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया के साथ संबंध|

    विशेषण- विशेषण के भेद, लिंग, वचन, विशेष्य, प्रविशेषण

    क्रिया – क्रिया के भेद, लिंग , वचन , धातु, काल , वाच्य , प्रयोग, कर्ता और कर्म का संकेत

    क्रियाविशेषण- भेद, जिस क्रिया की विशेषता बताई गई हो उसके बारे में निर्देश|

    समुच्चय बोधक – भेद, संयुक्त शब्दों, वाक्यांशों तथा वाक्यों का उल्लेख |

    संबंधवोधक – भेद, पदों, पदबंधों, वाक्यांशों से संबंध का निर्देश

    विस्मयादिबोधक- भेद का नाम

    उदाहरणः-
    1. राकेश यहॉं दसवीं कक्षा में पढ़ता है।

    राकेश - संज्ञा ; व्यक्ति वाचक , पुलिंग, एक वचन,कर्ता- कारक, पढ़ता था क्रिया का कर्ता।
    यहां - स्थान वाचक क्रिया विशेषण, पढ़ता था क्रिया का स्थान निर्देश।
    दसवीं - विशेषण, क्रम सूचक ; संख्या वाचकद्ध ,स्त्राीलिंग, एक एचन, कक्षा विशेषण।
    कक्षा में - जातिवाचक संज्ञा, स्त्राीलिंग,एकवचन,अधिकरण कारक।
    पढ़ता था - अकर्मक क्रिया, पद,धातु, अन्य पुरूष , पुलिंग, एक वचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृ प्रयोग ; कर्ता राकेश है।

    2. हम बाग में गए परन्तु वहॉं कुछ नहीं था।

    हम - पुरूष वाचक सर्वनाम ; उत्तम पुरूष द्ध ,पुलिंग,बहुवचन कर्ताकारक गए क्रिया का कर्ता ।
    परन्तु - समुच्य बोधक ; व्यधिकरण

    3. आजकल नरेश सफेद पैंट पहनता है।

    नरेश - व्यक्ति वाचक संज्ञा, पुलिंग, एक वचन, कर्ता- कारक, पहनता है क्रिया का कर्ता।
    सफेद- गुणवाचक विशेषण, एक वचन, स्त्रीलिंग, पैंट विशेष्य का विशेषण।

    4. मैं नहा कर पुस्तक पढूंगा।

    मैं- पुरूष वाचक सर्वनाम, उत्तम पुरूष, एक वचन, पुलिंग, कर्ता कारक, पढूगा क्रिया का कर्ता।
    नहा कर - पूर्व कालिक क्रिया नहा धातु कर्तृवाच्य भविष्य काल, पुस्तक पढूगा की पूर्व कालिक क्रिया।

    5. मैं धीरे-धीरे चलता हूँ |

    धीरे-धीरे- क्रिया विशेषण, रीतिवाचक क्रिया विशेषण, ‘चलता हूँ’ विशेष्य |

    6. यह किताब मेरी है |

    यह- विशेषण, सर्वनामिक विशेषण, एकवचन , स्त्रीलिंग |